इरेक्टाइल डिसफंक्शन यानी नपुंसकता एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें एक पुरुष यौन गतिविधि के लिए इरेक्शन नहीं बना पाता है। यह बहुत ही सामान्य होता है क्योंकि लगभग 60% पुरुषों कभी न कभी अपने जीवन में इसका अनुभव करते है। प्राचीन भारतीय चिकित्सा परंपरा आयुर्वेद में इरेक्टाइल डिसफंक्शन को "क्लैब्य " (Klaibya) के नाम से जाना जाता है। कई आधुनिक चिकित्सा दृष्टिकोणों के विपरीत आयुर्वेद मन, शरीर और आत्मा को संतुलित करके इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी स्थितियों का उपचार करने पर ज़ोर देता है। डॉयबटीज, हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर जैसी सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं नपुंसकता से जुड़ी होती है। इसके अलावा, तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य जैसी स्तिथियां इस समस्या को बढ़ा सकती है। आधुनिक जीवनशैली जैसे गतिहीन दिनचर्या, अन्हेल्थी आहार और अत्यधिक धूम्रपान या शराब का सेवन करने से भी नपुंसकता के बढ़ने में योगदान करते है।
स्तंभन दोष या नपुंसकता क्या है ? (WHAT IS ERECTILE DYSFUNCTION?)
संभोग यानी सेक्स के लिए अगर लिंग में कठोरता नहीं आ पाती है तो उसे स्तंभन दोष यानी नपुंसकता के रूप में जाना जाता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार सहयोगी साथी के साथ यौन क्रिया में शामिल होने पर भी सहवास नहीं किया जा सकता है क्योंकि लिंग में कोई इरेक्शन या कठोरता नहीं होती है। कई बार व्यक्ति भले ही इरेक्शन पाने में सक्षम हो लेकिन उसकी चिंता के कारण उसे सांस की तकलीफ और अत्यधिक पसीना आने लगता है। थकान और असंतोष के परिणामस्वरूप सेक्स करने का उसका प्रयास विफल हो जाता है।
आयुर्वेद में स्वास्थ्य और रोग तीन दोषों - वात, पित्त और कफ का संतुलन या असंतुलन होता है। आयुर्वेद के अनुसार इरेक्टाइल डिसफंक्शन मुख्य रूप से वात दोष में असंतुलन का परिणाम होता है क्योंकि शिश्न क्षेत्र जो पेनीला एरिया (penile area ) के नीचे होता है वह वात बॉडी एरिया (Vata body Area) के अंतर्गत आता है।
"क्लैब्य " (Klaibya) के प्रबंधन के लिए आयुर्वेदिक स्ट्रैटिजी पर एक नज़र डाली गई है:
दोष असंतुलन को समझना (UNDERSTANDING DOSHA IMBALANCE)
वात दोष (Vata Dosha) : यह गति को नियंत्रित करता है और हमारे तंत्रिका तंत्र यानी नर्वस सिस्टम में आवेगों और संकेतों के संचरण के लिए जिम्मेदार होता है। इस प्रकार के असंतुलन से चिंता, भय और घबराहट हो सकती है। ये सभी इरेक्टाइल डिसफंक्शन में योगदान देने वाले कारक साबित हो सकते है।
पित्त दोष (Pitta Dosha) : यह चयापचय यानी मेटाबोलिज्म और परिवर्तन से संबंधित होता है। बढ़ा हुआ पित्त सूजन की स्थिति पैदा कर सकता है और संक्रमण जैसे मुद्दों के कारण इरेक्टाइल डिसफंक्शन में भी भूमिका निभा सकता है।
कफ दोष (Kapha Dosha) : यह संरचना और चिकनाई को बनाए रखता है। इस असंतुलन के परिणामस्वरूप सुस्ती, मोटापा और रुचि की कमी हो सकती है। जो अप्रत्यक्ष रूप से यौन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
लक्षण (SYMPTOMS)
आयुर्वेद के ऐतिहासिक लेखों में क्लैबिया यानी इरेक्टाइल डिसफंक्शन के निम्नलिखित लक्षण बताए गए है-
- व्यक्ति के शुक्राणु कम और गंधहीन होते है।
- इरेक्शन कभी नहीं होता, दिन हो या रात।
- किसी प्रकार का कोई इरेक्शन नहीं, यौन मुठभेड़ के दौरान कोई उत्तेजना नहीं होती। कभी-कभी वीर्य का कोई स्त्राव नहीं होता है।
- वीर्य स्खलन के बाद और लिंग के इरेक्शन का तुरंत कमजोर होना।
- आंशिक निर्माण (पार्शियल इरेक्शन) जो अपूर्ण या क्षणभंगुर होता है।
कारक (FACTORS)
शारीरिक बीमारियां (फिजिकल एिलमेंट्स): जैसा कि पहले भी बताया गया है कि डॉयबटीज, हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर जैसी स्तिथियां इरेक्टाइल डिसफंक्शन के समानांतर चलती है। जैसे-जैसे इन स्थितियों का वैश्विक प्रसार बढ़ रहा है इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन के आंकड़े भी काफी बढ़ रहें है।
मानसिक स्वास्थ्य संबंध (Mental Health Ties) : दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों की बढ़ती समस्या के साथ-साथ इरेक्टाइल डिसफंक्शन के मामले भी बढ़ रहे है। चिंता,अवसाद और तनाव के बढ़ने से इरेक्टाइल डिसफंक्शन के होने की संभावना और भी अधिक बढ़ जाती है। जिसका प्रभाव मानसिक के साथ-साथ स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
जीवनशैली (Lifestyle Choices): आधुनिक जीवनशैली, गतिहीन आदतों, अनहेल्थी आहार और तंबाकू व शराब के बढ़ते सेवन से वैश्विक स्तर पर इरेक्टाइल डिसफंक्शन की वृद्धि को बढ़ावा मिल रहा है।
प्रकार (Types)
शास्त्रीय आयुर्वेदिक ऋषियों व आचार्यों के अनुसार इरेक्टाइल डिसफंक्शन विभिन्न प्रकार के होते है। यह प्रकार उनके कारणों और अभिव्यक्तियों पर निर्भर करता है। प्राचीन प्राथमिक आयुर्वेदिक ग्रंथ चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अष्टांग हृदय में इन पर चर्चा की गई है। इसके सबसे सामान्य प्रकार निम्नलिखित है।
- वातज क्लैब्य (Vataja Klaibya): यह वात दोष के बिगड़ने के कारण होता है। दर्द होना, कम ऊतक उत्पादन और जननांग क्षेत्र में सूखापन होना इसके प्रमुख लक्षण होते है।
- पित्तज क्लैब्य (Pittaja Klaibya): यह पित्त दोष के ख़राब होने के कारण होता है। सूजन, जलन और रंगहीन स्राव इसके प्रमुख लक्षण होते है।
- कफज क्लैब्य (Kaphaja Klaibya): यह कफ दोष के बिगड़ने से उत्पन्न होता है। ठंडक होना, भारीपन होना और जननांग क्षेत्र में अत्यधिक स्राव होना इसके प्रमुख लक्षण होते है।
- सन्निपातज क्लैब्य (Sannipataja Klaibya): यह तीनों दोषों वात, पित्त और कफ के असंतुलन के कारण होता है।
- अघात क्लैब्य (Aghataja Klaibya): यह आघात यानी ट्रामा या चोट के परिणामस्वरूप होता है।
- शुक्रक्षयज क्लैब्य (Shukrakshayaja Klaibya): यह शुक्र धातु (वीर्य या प्रजनन ऊतक) में कमी से उत्पन्न होता है।
- मानसिका क्लैब्य (Manasika Klaibya): यह तनाव, चिंता या अवसाद जैसे मनोवैज्ञानिक कारकों में निहित होता है।
- जराज क्लैब्य (Jaraja Klaibya): यह उम्र के बढ़ने के कारण होता है।
- दोषज क्लैब्य (Doshaja Klaibya): यह शरीर में दोषों के असंतुलन के कारण होता है।
- अहरिताज क्लैब्य (Ahritaja Klaibya): यह विषाक्त पदार्थों या जहर के सेवन के कारण होता है।
- ध्वजा भंगज क्लैब्य / मेध्र रोगज क्लैब्य (Dhvaja Bhangaja Klaibya / Medhra Rogaja Klaibya): शरीर के किसी भाग या अंग की संरचना या अखंडता में कोई भी परिवर्तन यानी भंग होना है। ध्वजा का प्रयोग मेहना या लिंग के संदर्भ में किया जाता है। प्रारंभ में ध्वजभंगजा क्लैब्य दर्द से जुड़े जननांग अंगों में सूजन और अल्सर पैदा करता है और संभोग करने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
- बीजउपघातज क्लैब्य (Bijupaghataja Klaibya): यह वीर्य की कमी के कारण होता है। वीर्य की मात्रा ख़राब होने के कारण कम हो जाती है। चक्रपाणि ने इसकी व्याख्या वायु क्षय के रूप में की है।
उपचार (TREATMENT)
- हर्बल सहयोगी (Herbal Allies): क्लैब्य के उपचार के लिए पारंपरिक रूप से कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों को काफी शक्तिशाली बताया गया है। इनमे से कुछ इस प्रकार है।
1. अश्वगंधा (Ashwagandha)
- अश्वगंधा जिसे भारतीय जिनसेंग के रूप में भी जाना जाता है। इसका उपयोग मनोवैज्ञानिक इरेक्टाइल डिसफंक्शन यानी नपुंसकता को प्रबंधित करने के लिए किया जाता है। साइकोजेनिक इरेक्टाइल डिसफंक्शन वाले लोगों को निम्न कारणों से इरेक्शन बनाए रखने में कठिनाई होती है: यौन चिंता, विफलता का डर, यौन प्रदर्शन के बारे में चिंताएं, यौन उत्तेजना और आनंद की व्यक्तिपरक भावना में कमी।
- 2011 के एक क्लीनिकल रिसर्च में 86 पुरुषों को 60 दिनों के लिए अश्वगंधा जड़ का पाउडर दिया गया था जिसके साइकोजेनिक इरेक्टाइल डिसफंक्शन के परिणाम उत्कृष्ट थे।
- जो पुरुष अश्वगंधा का सेवन करते है उनमें एंटीऑक्सीडेंट का स्तर, शुक्राणु की बेहतर गुणवत्ता और टेस्टोस्टेरोन का स्तर काफी बढ़ा हुआ पाया जाता है।
- दोषों पर प्रभाव - ख़राब वात दोष को शांत करता है।
2. दालचीनी (Cinnamon)
- तुर्की के शोधकर्ताओं के एक समूह ने दालचीनी तेल का परीक्षण मनुष्यों के स्तंभन ऊतक (erectile tissue) के नमूनों पर किया। अध्ययन से यह बात सामने आई कि दालचीनी का तेल और इसका प्राथमिक घटक, सिनामाल्डिहाइड, मनुष्यों के स्तंभन ऊतक को आराम देता है। दालचीनी कामेच्छा और प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकती है और इसका उपयोग पुरुषों में स्तंभन दोष के उपचार में किया जाता है।
- त्वचा पर सीधे इस तेल का उपयोग न करने की सलाह दी जाती है।
- दोषों पर प्रभाव - खराब कफ और वात दोष को शांत करता है।
3. सफेद मूसली (Safed Musli)
- यह कामोत्तेजक गुणों के कारण स्तंभन दोष को प्रबंधित करने में मदद करता है। यह यौन इच्छा को बढ़ाता है और संभोग के दौरान इरेक्शन बनाए रखने में मदद करता है। यह पुरुष शक्ति को बढ़ाने में भी मदद करता है क्योंकि इसमें शुक्राणुजन्य (spermatogenic) गुण होते है।
- दोषों पर प्रभाव - ख़राब वात दोष को शांत करता है।
हमारे उत्पाद में शामिल है (OUR PRODUCT INCLUDES)
अश्वगंधा, दालचीनी, सफेद मूसली, और 15 अन्य शुद्ध जड़ी- बूटियां
हम कैसे अलग है ? (HOW WE ARE DIFFERENT)
हम सम्पूर्ण स्वास्थ्य लाभ पर काम करते है। हम बिना किसी दुष्प्रभाव के 100% प्रभावी जड़ी-बूटियों का उपयोग करते है। कोई भी हमारे आयुर्वेदिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से पहला परामर्श निःशुल्क प्राप्त कर सकता है। आपकी प्रकृति के अनुसार एक निःशुल्क आहार चार्ट, जीवनशैली में बदलाव और आपके उपचार के दौरान आपको पूर्ण समर्थन प्रदान किया जाएगा।
- आहार संबंधी अनुशंसा (Dietary Recommendations): पौष्टिक व संतुलित आहार पर ज़ोर दिया जाता है। ताजा, गर्म और आसानी से पचने योग्य खाद्य पदार्थों का सेवन फायदेमंद हो सकता है। आयुर्वेद दूध, शहद, घी, बादाम और खजूर जैसे कामोत्तेजक खाद्य पदार्थों (वाजीकरण आहार) के महत्व को भी रेखांकित करता है जो प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकते है।
- जीवनशैली अभ्यास (Lifestyle Practices): दैनिक दिनचर्या जैसे जल्दी उठना, योग, ध्यान और प्राणायाम (सांस लेने के व्यायाम) को अपने रूटीन में शामिल करने से मन को शांत करने और क्लैब्य से जुड़ी चिंता को कम करने में मदद मिल सकती है।
- आयुर्वेदिक थेरपी (Ayurvedic Therapies): अभ्यंग यानी तेल मालिश और शिरोधारा यानी माथे पर तरल पदार्थ डालना जैसे विशेष उपचार फयदेमंद हो सकते है। ये उपचार दोषों को संतुलित करने परिसंचरण को उत्तेजित करने और विश्राम को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किए गए है।
पंचकर्म (Panchakarma) : यह डेटॉक्सफाइंग प्रक्रिया है जो शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों को साफ करती है। पंचकर्म के तहत बस्ती (औषधीय एनीमा) जैसे विशिष्ट उपचार व्यक्ति के दोष असंतुलन के आधार पर निर्धारित किए जा सकते हैं।
- सचेत जीवन (Mindful Living): तनाव को कम करना, पर्याप्त नींद सुनिश्चित करना, अत्यधिक शराब या तंबाकू के सेवन से परहेज करना और सार्थक पारस्परिक संबंधों का निर्माण क्लैब्य के प्रबंधन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
सफलता दर (Success Rate)
- आयुर्वेद 100% सफलता दर देता है। सफलता दर की अवधि शरीर की संरचना और व्यक्ति की रुग्णताओं (comorbidities) के आधार पर अलग-अलग हो सकती है।
- उपचार के बाद आपको क्या उम्मीद करनी चाहिए ?
- हमारा उपचार न केवल लक्षणों को कम करता है बल्कि समस्या को भी पूरी तरह ठीक करता है । यह आपके स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। उपचार के बाद आपका आत्मविश्वास बेहतर होगा और आपके मूड और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होगा।
- हमें क्यों चुनें या हम किस प्रकार दूसरों से अलग है ?
- हमारा उत्पाद सम्पूर्ण यौन स्वास्थ्य पर काम करता है जैसे-
1-स्तंभन दोष/ओजेए (OJA)/शुक्र धातु में सुधार करते है।
-2- पाचन और मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है।
3-हार्मोन का संतुलन सही रहता है।
4- ताकत को बढ़ाता है।
- हम सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर काम करते है। हम बिना किसी दुष्प्रभाव के 100% प्रभावी जड़ी-बूटियों का उपयोग करते है। आप हमारे आयुर्वेदिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से पहला परामर्श निःशुल्क प्राप्त कर सकते है। आपकी प्रकृति के अनुसार एक निःशुल्क आहार चार्ट, जीवनशैली में सुधार के लिए दिशा-निर्देश और उपचार के दौरान हमारे विशेषज्ञ से पूर्ण समर्थन आप प्राप्त कर सकते है ।
FAQs-
1. इन उत्पादों को कौन ले सकता है ?
जो लोग यौन क्रिया से पहले चिंता या घबराहट से पीड़ित होते है।
जो लोग स्तंभन दोष, कम ऊर्जा और यौन इच्छा में कमी से पीड़ित होते है।
2- खुराक और अवधि ?
एक गोली रात को दूध के साथ लें और दिन में दो बार तेल का प्रयोग करें।
माइल्ड मामलों में कम से कम 3 महीने की अवधि तक सेवन करें।
मॉडरेट मामलों में कम से कम 6 महीने की अवधि तक सेवन करें।
गंभीर मामलों में कम से कम 10-12 महीने की अवधि तक सेवन करें।
3- क्या यह उत्पाद सुरक्षित और प्रभावी है?
जी यह उत्पाद सौ प्रतिशत सुरक्षित और प्रभावी है । रोगी को अपनी प्रकृति के अनुसार उचित आहार-विहार करते हुए औषधि का सेवन करना चाहिए।
4- क्या इस उत्पाद का कोई साइड इफ़ेक्ट पड़ता है?
नहीं इस उत्पाद का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं पड़ता है। यह सौ फीसदी सुरक्षित होता है और बताई गई खुराक के अनुसार ही दवा लेनी चाहिए।
अगर आपका कोई सवाल है ? या आपको विस्तृत विवरण चाहिए तो ?
आप हमारे विशेषज्ञ से जानकारी प्राप्त कर सकते है !
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