icon-blog By - dsaf
icon-blog By - 19 Mar 2024

Weight Management

वज़न प्रबंधन (Weight management)/ मेदोहर चिकित्सा (Medohara Chikitsa)

आयुर्वेद में वजन प्रबंधन को "मेदोहर चिकित्सा" के रूप में जाना जाता है। यह आनुवांशिक कारणों खान-पान से संबंधित आदतों, मानसिक स्वास्थ्य और मेटाबोलिज्म से प्रभावित हो सकता है। इसे अनगिनत आहार और फिटनेस ट्रेंड के साथ नेविगेट करना चुनौतीपूर्ण होता है। एक अनुमान के मुताबिक वैश्विक स्तर पर 1 अरब से अधिक व्यक्ति मोटापे से पीड़ित है, जिनमें 650 मिलियन वयस्क, 340 मिलियन किशोर और 39 मिलियन छोटे बच्चे शामिल है। हैरत की बात तो यह है कि यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि 2025 तक लगभग 167 मिलियन लोग (वयस्क व युवा) दोनों ओवर वेट या मोटापे के कारण स्वास्थ्य से सम्बंधित चुनौतियों का सामना करेंगे।

अवलोकन (Overview)

अत्यधिक मोटापे से विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं जैसे हृदय रोग, डॉयबटीज, जोड़ों की समस्याएं और कई प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। इस प्रकार देखा जाएं तो मोटापे का प्रबंधन न केवल बेहतर शारीरिक उपस्थिति (फिजिकल अपीयरेंस) के लिए बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे कई कारक है जो मोटापे को बढ़ाते है। मोटापे की रोकथाम और उसके प्रबंधन के लिए कुछ रणनीतियों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद की आवश्यकता हो सकती है।

मोटापा/ ओवर वेट क्या है? (What is overweight/Obese?)
मोटापा एक चिकित्सीय स्थिति है जिसमें किसी व्यक्ति के शरीर में काफी हद तक अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है। जिसके कारण उस व्यक्ति के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है। आमतौर पर मोटापे को बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) द्वारा निर्धारित किया जाता है। जिसमे 30 या उससे अधिक का बीएमआई मोटापा माना जाता है। यहां यह ध्यान देने की ज़रूरत है कि ओवर वेट और मोटापे की परिभाषा बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) पर आधारित मानी गई है। विश्व स्वस्थय संगठन के अनुसार:
ओवर वेट को 25 बीएमआई के बराबर या उससे अधिक के रूप में परिभाषित किया गया है।
मोटापे की 30 या इससे अधिक बीएमआई के रूप में परिभाषित किया गया है।

वजन प्रबंधन पर आयुर्वेदिक परिप्रेक्ष्य (Ayurvedic Perspective on Weight Management)
आयुर्वेद के अंतर्गत शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन पर जोर दिया जाता है। वजन के प्रबंधन के संदर्भ में देखा जाएं तो यह भौतिक पहलू से कहीं अधिक गहराई तक जाता है।
"मेदोहर" (Medohara) को इस प्रकार समझा जा सकता है:
"मेडो" या "मेडा" जिसका अर्थ है चर्बी
"हारा" जिसका अर्थ है कम करना या हटाना।
"चिकित्सा" का अनुवाद उपचार या थेरेपी से है।

तो "मेदोहर चिकित्सा" आयुर्वेद में उस उपचार को संदर्भित करता है जो शरीर में वसा को कम करने या मोटापे और उससे संबंधित स्थितियों को संबोधित करने के लिए तैयार की जाती है।

दोष असंतुलन को समझें (Understanding Dosha Imbalance)
आयुर्वेद के अंतर्गत लोग वात, पित्त या कफ श्रेणियों में आते है। वजन का बढ़ना "कफ" असंतुलन से जुड़ा हुआ होता है। आयुर्वेद की आधारशिलाओं में से एक यह है कि यह विचार के विपरीत संतुलन बनाए रखते है। कफ और ओवर वेट में बहुत समानता है। ये दोनों ही पर्याप्त, भारी, धीमे, ठंडे, तैलीय यानी ऑयली, चिकने, घने और मुलायम होते है। इसके परिणामस्वरूप अधिक वजन होने से शरीर में बहुत अधिक कफ का अनुभव हो सकता है। जो मोटापे का कारण बन सकता है। वज़न को प्रबंधित करने के लिए हल्की, तेज, गर्म, शुष्क, खुरदरी, तरल, गतिशील और सूक्ष्म, संतुलन की वापसी की आवश्यकता हो सकती है। चाहे हम कितनी भी तेजी से या धीरे-धीरे आगे बढ़ें, हममें से सभी इस रणनीति से लाभान्वित हो सकते है।
आयुर्वेद के अंतर्गत वजन प्रबंधन (मेदोहर चिकित्सा) के लिए आपको अपने आहार से वंचित नहीं होना पड़ेगा या आपके द्वारा उपभोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थों की विविधता को बहुत अधिक सीमित नहीं करना पड़ेगा। आयुर्वेद में अल्पकालिक परिणामों के बजाय दीर्घकालिक लाभों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है जो आमतौर पर अधिक टिकाऊ होते है।

वजन घटाने के लाभ (Benefits of healthy weight loss)
- शारीरिक रूप से फिट रहते है।
- हार्ट हेल्थ: हार्ट यानी हृदय से सम्बंधित बीमारियों के जोखिम कम होते है।
- डायबिटीज: इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाता है।
- जॉइंट हेल्थ: तनाव को कम करता है।
- नींद: स्लीप एपनिया के लक्षणों को कम करता है।
- मानसिक तंदुरुस्ती बढ़ाता है। 
- आत्मविश्वास बढ़ता है। 
- शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से अवसाद कम होता है।
- संज्ञानात्मक कार्यों यानी कॉग्निटिव फंक्शन को बढ़ा सकता है।
- अन्य लाभ: सहनशक्ति में वृद्धि करता है, जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है, आर्थिक रूप से भी लाभदायक है, जीवन अवधि को बढ़ाता है और पुरानी बीमारी के जोखिम को कम करता है।

ओवर वेट के लक्षण (Symptoms of being overweight)
ओवर वेट यानी वज़न के अधिक बढ़ने के सामान्य लक्षण इस प्रकार है। 
- चर्बी का बढ़ना, सांस लेने में कठिनाई होना, नींद आने में परेशानी होना, जोड़ों का दर्द, पसीना अधिक आना, झनझनाहट होना, लगातार थकान होना, शारीरिक गतिविधियों में परेशानी होना, वैरिकाज़ नसें, त्वचा से सम्बंधित परेशानी संबंधी समस्याएं और कपड़ों के आकार का लगातार बढ़ा होना।

ओवर वेट को प्रभावित करने वाले कारक (Factors influencing weight gain)
- ऊर्जा का असंतुलित होना, लाइफ स्टाइल का गतिहीन होना, आहार का अनहेल्थी होना, जेनेटिक होना, हार्मोन का असंतुलित होना, दवाईयों के साइड इफ़ेक्ट, भावनात्मक चुनौतियां, नींद का पूरा नहीं होना, सांस्कृतिक प्रभाव, पर्यावरण से सम्बंधित चुनौतियां, जागरूकता की कमी, उम्र से सम्बंधित कारक, गर्भावस्था के बाद वजन बढ़ना और स्मोकिंग छोड़ने के बाद आमतौर पर वज़न बढ़ने के कारण हो सकते है।

उपचार (Treatment)
वजन को प्रबंधित करने के लिए सम्पूर्ण रूप से प्रयास करना ज़रूरी है। अगर वज़न प्रबंधित नहीं होता है तो कई प्रकार की बीमारियां आपको होने की संभावना होती है। वज़न को प्रबंधित करने का सीधा मतलब है कि आप अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे रहे है। आयुर्वेद के अंतर्गत अधिक वजन होना अक्सर कफ असंतुलन से जुड़ा होता है, जो अत्यधिक भारीपन और सुस्ती की तरफ इशारा करता है। आयुर्वेद में वजन बढ़ने के कई कारणों को जिम्मेदार माना गया है। आहार से लेकर भावनात्मक तनाव तक इसके उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। आयुर्वेद के अंतर्गत किसी व्यक्ति की विशिष्ट आवश्यकता के आधार पर उपचार की स्ट्रेटेजी तैयार की जाती है।

आहार संबंधी सुझाव (Dietary Suggestions)
- ताज़ा आहार लेना चाहिए व प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों यानी प्रोसेस्ड फ़ूड से बचना चाहिए। 
- गर्म और अच्छी तरह पका हुआ आहार बेहतर होता है।
- ऐसे मसालों का प्रयोग करें जो आहार पचाने में सहायक हो। 
- खाना खाते समय ध्यान केंद्रित करे।

मेदोहर चिकित्सा के लिए हर्बल उपचार (Herbal assistance for Medohara Chikitsa)

हमारे हर्ब्स (Our Herbs)
-  हमारी जड़ी-बूटियों यानी हर्ब्स से यह साबित हो चूका है कि यह रोगियों को लंबे समय तक फायदा करती है व इनका किसी भी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है। 
- एप्पल साइडर सिरका (Apple cider Vinegar): वजन कम करता है, टाइप 2 डॉयबटीज को रोकने में मदद करता है, सीने में जलन से राहत देता है, कोलेस्ट्रॉल कम करता है, वेरिकोज नसों को कम करता है, रूसी को कम करता है, मुंहासे को कम करता है और ऊर्जा को बढ़ाता है। रोगाणुरोधी और एंटीऑक्सीडेंट को भी प्रभावित करता है। 
दोषों पर प्रभाव - यह कफ दोष को शांत करता है।

- त्रिफला (Triphala): लीवर की कार्यप्रणाली में सुधार करता है। सीरम कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। परिसंचरण यानी सर्कुलेशन में सुधार करता है व पित्त की नलिकाओं को आराम देता है।
-  दोषों पर प्रभाव - सभी दोषों को शांत करता है।

- गार्सिनिया (Garcinia): भूख को कम करता है और मस्तिष्क में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाता है। भूख की आवृत्ति को नियंत्रित करता है व अधिक खाने से रोकता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट सूजन-रोधी गतिविधियां शामिल है।
- दोषों पर प्रभाव - यह कफ और वात दोष का शमन करता है।

- पिप्पलि (Pippali): शरीर के मेटाबोलिज्म में सुधार करती है और वजन घटाने में मदद करती है।
दोषों पर प्रभाव - कफ और वात दोष को शांत करता है। 

- मैरिच (Marich): मैरिच लिवर की रक्षा करती है और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार करती है। यह टॉक्सिन को बाहर निकालने में भी मदद करता है। वसा कोशिका के निर्माण को रोकता है, मेटाबोलिज्म में सुधार करता है और शरीर के विभिन्न अंगों को उत्तेजित करता है।
दोषों पर प्रभाव - कफ और वात दोष को शांत करता है। 

- चांगेरी (Changeri): शरीर से टॉक्सिन को दूर करता है। पेट और लीवर से संबंधित बीमारियों में मदद करता है।

दोषों पर प्रभाव - कफ और वात दोष को शांत करता है। 

- शुंथि (Dry Ginger): यह अग्नि (डाइजेस्टिव अग्नि) को बेहतर बनाने और अमा को कम करने में मदद करती है। इसमें पचन (पाचन) और दीपन (भूख बढ़ाने वाले) गुण भी होते है। यह टॉक्सिन्स को खत्म करके रक्त वाहिकाओं में रुकावट को दूर करने में भी मदद करता है। इसके साथ ही साथ यह कार्डियक टॉनिक यानी हृदय को स्वस्थ बनाए रखने में भी मदद करता है।
दोषों पर प्रभाव - कफ और वात दोष को शांत करता है।

-  उपचार का हमारा दृष्टिकोण संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार करता है। हम ऐसी दवाईयों का प्रयोग करते है जो काफी प्रभावी होती है। हमारी दवाईयों का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है। हमारे विशेषज्ञों से आप पहला परामर्श निःशुल्क प्राप्त कर सकते है। आपको आपकी प्रकृति के अनुसार आहार चार्ट प्रदान किया जाएगा और इसके बाद भी आपको निरंतर विशेषज्ञ से सहायता मिलती रहेगी।

- डिटॉक्स एंड एक्टिविटी: पंचकर्म डिटॉक्स उपचार का एक ऐसा तरीका है जो डेटॉक्सिफिकेशन पर आधारित है। जिसमें थेराप्यूटिक उल्टी (Vamana), विरेचन उपचार (purgative treatments) और अन्य प्रक्रियाएं शामिल है। इस प्रकार के उपचार को किसी योग्य आयुर्वेदिक डॉक्टर की देखरेख में ही किया जाना चाहिए।

- योग और प्राणायाम: कुछ योग आसन और सांस लेने के व्यायाम काफी फायदेमंद हो सकते है। वजन घटाने के लिए सूर्य नमस्कार को अक्सर अनुशंसित किया जाता है। 

- कपालभाति प्राणायाम (Kapalbhati Pranayama) जैसे श्वास व्यायाम भी काफी कारगार साबित हो सकते है।

- उद्वर्तन (Udvartana): विशेष प्रकार की सूखी जड़ी-बूटियों की मालिश (उद्वर्तन) शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करने में मदद करती है।

- लाइफ स्टाइल में बदलाव: अपने काम को व्यवस्थित करें, तनाव को प्रबंधित करें, पर्याप्त नींद लें और कभी-कभी उपवास करें। रोज़ाना एक रूटीन  सुनिश्चित करें।

- नींद (Sleep):  नींद के अपने पैटर्न को नियमित रूप से बनाए रखें। दिन के समय में सोने से बचने की कोशिश करें। अगर दिन के समय में आप सोते है तो इससे कफ बढ़ सकता है।
- तनाव नियंत्रण (Stress Control): अगर आप लंबे समय तक तनाव में रहते है तो इससे आप का वजन बढ़ सकता है। ध्यान, योग और गहरी सांस लेने जैसे अभ्यास से तनाव को प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है। डॉक्टर के मार्गदर्शन में यदि 10 उपवास रखें जाएं तो इससे काफी लाभ हो सकता है। उपवास रखने या कभी-कभार उपवास रखने से आपका पाचन तंत्र दोबारा से सेट हो सकता है। यह संचित विषाक्त पदार्थों यानि आम दोष को कम करने में मदद कर सकता है।

उपचार के बाद क्या अपेक्षा करें (What to expect after treatment)
- हमारा उपचार से न केवल आपका वजन कम होगा बल्कि आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को भी लाभ मिलेगा। उपचार के बाद आप अपने आत्मविश्वास को बढ़ा हुआ पाएंगे। जिससे आपके मूड और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होगा। थोड़े समय के बाद ही आप पहले से बेहतर महसूस करेंगे। 

हमें क्यों चुनें? (Why choose us?)
- हमारे उपचार का दृष्टिकोण आपके स्वास्थ्य को बेहतर करने की कोशिश करता है। हम ऐसी जड़ी-बूटियों का प्रयोग करते है जो काफी प्रभावी होती है और जिनका साइड इफ़ेक्ट बिल्कुल भी नहीं होता है। आप हमारे यहां पहला परामर्श निःशुल्क प्राप्त कर सकते है। आपको एक निःशुल्क आहार चार्ट प्रदान किया जाएगा। आपको हमारे विशेषज्ञों से निरंतर सहायता भी मिलती रहेगी।

सफलता दर (Success Rate)
आयुर्वेद के अंतर्गत 100% सफलता दर दी जाती है। सफलता दर की अवधि रोगी के शरीर की संरचना और सह-रुग्णताओं (comorbidities) से पीड़ित होने के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
-दूसरे फैट बर्नर से कैसे अलग है ?
हमारे प्रोडक्ट मेटाबोलिज्म को बढ़ावा देते है और ख़राब वसा को कम करते है।

- किसे लेना चाहिए ?
वजन घटाने के इच्छुक व्यक्ति और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के इच्छुक व्यक्ति इसे ले सकते है। 
 

- खुराक कितनी लें ?
- आहार से आधा घंटा पहले एक गोली लेना बेहतर रहता है।

- लंबे समय तक सुरक्षित है ? 
यह सुरक्षित है लेकिन 3 महीने के बाद एक सप्ताह का ब्रेक लेना चाहिए।

- दूसरे प्रकार के उपचार के साथ कोई संयोजन है ?
हां, लेकिन दवाइयों के बीच आधे घंटे का अंतर होना चाहिए।

- डिटॉक्स में लाभ होता है ?
हां, यह डिटॉक्स में सहायता करता है।

- आहार पर कैसे नियंत्रण करें ?
सेब साइडर सिरका जैसे तत्व आहार की लालसा को कम करने में मदद करते है।

- डायबिटीज के रोगियों के लिए सुरक्षित है ?
हां, ये दवाइयां शुगर-फ्री है और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में भी मदद करती है।

Recent Blog Posts

  • Women’s Health - 19 Mar 2024

    Male Vigor

    आज के इस दौर में तनाव, गतिहीन जीवन शैली और खराब पोषण काफी व्याप्त होते जा...

  • Women’s Health - 19 Mar 2024

    Diet Chart

    आयुर्वेद के अंतर्गत अगर आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाना चाहते है या फिर आप किसी...

  • Women’s Health - 19 Mar 2024

    Menstrual Disorders

    आयुर्वेद में "आर्तव" (Aartav) या "अर्तवा" (Artava) एक महिला के मासिक धर्म के रक्त के प्रवाह...

Get help