वाजीकरण चिकित्सा (VAJIKARAN CHIKITSA )
आज के इस दौर में तनाव, गतिहीन जीवन शैली और खराब पोषण काफी व्याप्त होते जा रहे है। यही कारण है कि पुरुषों की ऐसी संख्या बढ़ती जा रही है जिनमे ताक़त की कमी, यौन शक्ति की कमी, सहनशक्ति का कम होना और शुक्राणु की गुणवत्ता का ख़राब होना आदि परेशानियां बढ़ रही है। ये ऐसी परेशानियां है जिनका प्रभाव सिर्फ बैडरूम तक ही सीमित नहीं होता है। यह मनुष्य के जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे आत्मसम्मान, रिश्तों और उनके मानसिक कल्याण को भी प्रभावित करती है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (WHO) की अप्रैल 2023 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व स्तर पर 6 में से 1 पुरुष इनफर्टिलिटी का शिकार हो रहा है। सौभाग्य की बात यह है कि आयुर्वेदिक उपचार के तरीके सहनशक्ति, कामेच्छा, शुक्राणु की मात्रा व इसकी गुणवत्ता को बढ़ाने में मददगार साबित हुए है। यहां यह जानना भी ज़रूरी है कि इस परेशानी से पहले पुरुषों के सामने आने वाली चुनौतियों जैसे जीवन शक्ति और सहनशक्ति को बढ़ाने के अंतर्निहित कारणों और शुक्राणुओं की संख्या में व्यापक गिरावट के कारणों को समझना काफी आवश्यक होता है।
अवलोकन (OVERVIEW)
पिछले कई दशकों में पुरुषों के शुक्राणु की गुणवत्ता, जीवन शक्ति और सहनशक्ति में उल्लेखनीय गिरावट आई है। जिसके परिणामस्वरूप चिकित्सा जगत का ध्यान इस तरफ काफी आकर्षित हुआ है। इसकी बढ़ती हुई प्रवृत्ति के विभिन्न कारक है जैसे पर्यावरण में रसायन का व्यापक होना विशेष रूप से प्लास्टिक का प्रयोग करना, औद्योगिक क्षेत्रों से प्रदूषक का स्तर हाई होना, आहार में कम पौष्टिक खाद्य पदार्थों का होना, तनाव का अधिक रहना , मादक द्रव्यों का सेवन, कुछ विशेष स्वास्थ्य स्थितियां और जीवन शैली जैसे लंबे समय तक गर्मी में रहना आदि।
अगर देखा जाए तो आयुर्वेद एक सम्मानित भारतीय औषधीय प्रणाली है जो समग्र हस्तक्षेप प्रदान करती है। यह वाजीकरण चिकित्सा, रिप्रोडक्टिव हेल्थ, यौन शक्ति को बढ़ाने और ऊर्जा को फिर से जीवित करने के मामलों में विशेष व्यवस्था रखती है। यह घी और बादाम जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थों से भरपूर आहार की वकालत करता है और अश्वगंधा जैसी चिकित्सा जड़ी-बूटियों के लाभों पर जोर देता है। मोटे तौर पर इस दृष्टिकोण का केंद्र एक संतुलित जीवन शैली होता है जो शारीरिक गतिविधियों, आरामदायक नींद और तनाव के प्रबंधन पर जोर देता है। स्वास्थ्य के प्रति आयुर्वेद का एकीकृत दृष्टिकोण ही उसे दुसरो से अलग करती है। जो शारीरिक कल्याण को भावनात्मक और आध्यात्मिक सद्भाव से जोड़ता है। साथ ही साथ उसके रोकथाम और समग्र कायाकल्प दोनों के महत्व को रेखांकित करता है।
पुरुष कामेच्छा/जीवन शक्ति/सहनशक्ति/शुक्राणु गिनती बूस्टर क्या है? (WHAT IS MALE LIBIDO/VITALITY/STAMINA/ SPERM COUNT BOOSTER?)
कामेच्छा, जीवन शक्ति, सहनशक्ति और शुक्राणुओं की संख्या पुरषों के समग्र कल्याण के महत्वपूर्ण पहलू होते है। सामान्यतः कामेच्छा किसी की यौन इच्छा को दर्शाती है। जीवन शक्ति किसी के ऊर्जावान सार का प्रतिनिधित्व करती है और अश्वगंधा जैसे पदार्थ इसे बढ़ाने के लिए जाने जाते है। सहनशक्ति लंबे समय तक शारीरिक या मानसिक शक्ति का प्रतीक है और इसे बढ़ाने के लिए नियमित व्यायाम की आवश्यकता होती है। शुक्राणुओं की संख्या जिसे स्वास्थ्य प्रजनन का सूचक कहा जाता है को जिंक जैसे तत्वों से या जीवनशैली में बदलाव करके जैसे शराब का सेवन कम करके बढ़ाया जा सकता है।
आयुर्वेद के विशाल क्षेत्र में "वाजीकरण चिकित्सा" आयुर्वेद की एक शाखा है जिसे आमतौर पर भारत में चिकित्सा की पारंपरिक प्रणाली माना जाता है। "वाजीकरण" शब्द को "वाजी" और "करण" दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। "वाजी" का अर्थ होता है घोड़ा (शक्ति और जोश का प्रतीक) और "करण" का अर्थ होता है क्रिया या कृत्य। इस प्रकार यह शब्द शक्ति, यौन शक्ति और जीवन शक्ति को बढ़ने के उपचार को संदर्भित करता है। यह एक समग्र अनुशासन के रूप में सामने आता है जो इन अवधारणाओं का प्रतिध्वनित होता है। यौन शक्ति और प्रजनन शक्ति को बढ़ाने के लिए वाजीकरण उपचार के अंतर्गत आहार संबंधी उपायों, शक्तिशाली जड़ी-बूटियों और जीवनशैली में महत्वपूर्ण परिवर्तन जैसे उपाय अपनाती है। मोटे तौर पर यह प्राचीन प्रथा पौष्टिक आहार और शक्तिशाली जड़ी-बूटियों के माध्यम से कामेच्छा बढ़ाने, कायाकल्प उपचारों के माध्यम से जीवन शक्ति बढ़ाने, संतुलित जीवन शैली के माध्यम से सहनशक्ति बढ़ाने और विशेष उपचारों के साथ शुक्राणु को समृद्ध करने पर जोर देती है। इस प्रकार वाजीकरण चिकित्सा समकालीन रणनीतियों को प्रतिबिंबित करने वाले एक समग्र आयुर्वेदिक प्रतिमान के रूप में उभरती है जो पुरुष के स्वास्थ्य के बहुमुखी आयामों पर ध्यान केंद्रित करती है।
लक्षण (SYMPTOMS)
आमतौर पर पुरुष शक्ति, जीवन शक्ति, सहनशक्ति में कमी और शुक्राणु की गुणवत्ता व मात्रा में कमी के लक्षण अलग-अलग तरीकों से प्रकट हो सकते है। समय रहते हुए इन लक्षणों को प्रबंधित करने की आवश्यकता होती है। इसके लक्षणों के सबसे सामान्य प्रकार निम्नलिखित है।
1. पुरुष शक्ति और जीवन शक्ति का कम होना (Low Male Vigor and Vitality)
ऊर्जा में कमी: आराम के बावजूद लगातार थकान या सुस्ती का महसूस होना।
कामेच्छा में कमी: यौन गतिविधियों या यौन उत्तेजना में रुचि कम होना।
मूड में उतार-चढ़ाव: चिड़चिड़ापन का बढ़ना, मूड में बदलाव, अवसाद या चिंता का होना।
ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होना : फोकस, स्पष्टता और याददाश्त कमज़ोर होना।
मांसपेशियों में कमी: मांसपेशियों की टोन या ताकत में कमी होना ।
चर्बी का बढ़ना : शरीर में चर्बी विशेष रूप से पेट के आसपास का जमा होना।
2. सहनशक्ति का कम होना (Low Stamina)
जल्दी थकान : शारीरिक या मानसिक कार्यों के दौरान जल्दी थक जाना।
सांस लेने में तकलीफ: मामूली परिश्रम के दौरान सांस फूलने का अनुभव होना।
शारीरिक गतिविधियों को बनाए रखने में कठिनाई: वर्कआउट या दैनिक गतिविधियों को करने में मुश्किल होना। जो काम पहले कभी आसानी से करते हो।
धीमी रिकवरी: शारीरिक परिश्रम के बाद ठीक होने में सामान्य से अधिक समय लगना।
3. शुक्राणु की गुणवत्ता व मात्रा से समझौता (Compromised Sperm Quality & Quantity)
बांझपन की समस्या: नियमित संभोग के एक वर्ष बाद भी बच्चा पैदा करने में कठिनाई होना।
यौन क्रिया में परिवर्तन: यौन इच्छा में कमी, स्तंभन दोष, या स्खलन में कठिनाई।
अंडकोष में परिवर्तन: अंडकोष क्षेत्र में सूजन, दर्द, गांठ या भारीपन का महसूस होना।
चेहरे या शरीर के बालों में कमी: हार्मोन उत्पादन में कमी का संकेत दे सकती है जो शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित करती है।
असामान्य वीर्य विश्लेषण: चिकित्सा परीक्षणों के दौरान कम शुक्राणु संख्या, खराब शुक्राणु गतिशीलता (गति), या असामान्य शुक्राणु आकृति विज्ञान (आकार) का पता चलना।
ये लक्षण स्वास्थ्य स्थितियों, हार्मोनल असंतुलन या जीवनशैली कारकों का संकेत देते है जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
कारक (FACTORS)
विभिन्न प्रकार के कारक पुरुष शक्ति, जीवन शक्ति, सहनशक्ति और शुक्राणु की गुणवत्ता और मात्रा में कमी को बढ़ा सकते है। इन कारकों को पहचानने से लक्षित हस्तक्षेप तैयार करने में मदद मिल सकती है।
1. जैविक कारक (Biological Factors)
हार्मोनल असंतुलन: हार्मोन के असंतुलित होने से टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है जिससे कामेच्छा में कमी आ जाती है। यह मांसपेशियों की ताकत और शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित कर सकता है।
उम्र बढ़ना: स्वाभाविक रूप से जैसे-जैसे पुरुषों की उम्र बढ़ती है, टेस्टोस्टेरोन के स्तर, सहनशक्ति और शुक्राणु की गुणवत्ता में गिरावट होने लगती है।
पुरानी बीमारियां : डायबिटीज, हृदय रोग या गुर्दे की बीमारियों से भी पुरुष शक्ति कम हो सकती है।
आनुवंशिक कारक: कुछ आनुवंशिक विसंगतियाँ शुक्राणुओं की संख्या में कमी या अन्य प्रजनन संबंधी समस्याओं के कारण भी हो सकती है।
2. जीवनशैली कारक (Lifestyle Factors)
ख़राब आहार: आवश्यक पोषक तत्वों, विटामिन और खनिजों की कमी समग्र जीवन शक्ति और शुक्राणु के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते है।
शारीरिक निष्क्रियता: गतिहीन जीवनशैली से सहनशक्ति और जीवन शक्ति में कमी आ सकती है।
मादक द्रव्यों का सेवन: शराब का अधिक सेवन, धूम्रपान या नशीली दवाओं का सेवन, सहनशक्ति और शुक्राणु की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
तनाव: अगर तनाव अधिक समय तक रहता है तो यह टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम कर सकता है और समग्र स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकता है।
अपर्याप्त नींद: लगातार खराब नींद टेस्टोस्टेरोन के स्तर और समग्र जीवन शक्ति को कम कर सकती है।
3. पर्यावरणीय कारक (Environmental Factors)
विषाक्त पदार्थ और प्रदूषक: कुछ रसायनों और भारी धातुओं के संपर्क में आने से शुक्राणु की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
गर्मी: अत्यधिक गर्मी विशेष रूप से वृषण क्षेत्र में (जैसे गर्म टब का बार-बार उपयोग), शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित कर सकती है।
रेडिएशन: लंबे समय तक रेडिएशन के संपर्क में रहने, यहां तक कि मोबाइल फोन से भी शुक्राणु की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
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