शीघ्रपतन (Premature Ejaculation) पुरषों की एक सामान्य समस्या है। एक अनुमान के मुताबिक विश्व भर के तक़रीबन 40 प्रतिशत पुरष इस समस्या का सामना कर रहें है। इसे आमतौर पर यौन उत्तेजना के तुरंत बाद या यौन गतिविधि शुरू करने के तुरंत बाद अगर सीमन यानी वीर्य निकल जाता है तो इसे शीघ्रपतन के रूप में परिभाषित किया जाता है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत पुरष को उत्तेजना बहुत कम यानी न्यूनतम स्तर पर होती है। इस प्रकार का इंटरकोर्स दोनों पक्षों यानी स्त्री व पुरुष दोनों के लिए असंतोष का कारण बन सकता है। इससे पीड़ित पुरषों के रिश्तों में संभावित रूप से तनाव हो सकता है। यह पुरषों के आत्मसम्मान को भी काफी हद तक प्रभावित कर सकता है। कई मामलों में तो ऐसा देखा गया है कि पुरुष इससे परेशान होकर आत्महत्या तक कर लेते है।
प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में यौन विकारों को "शुक्रगत वात" (Shukragata Vata) कहा गया है। इनमे से शीघ्रपतन "शीघ्र स्खलन" के साथ निकटता से मेल खाता है। आयुर्वेद इस स्थिति की व्याख्या दोष असंतुलन के साथ-साथ अन्य कारकों के रूप में देखता है।
अवलोकन (Overview)
आज के समय में विश्व भर में पुरुषों की एक प्रमुख समस्या यौन चिंता से सम्बंधित शीघ्रपतन (Premature Ejaculation) या शुक्रागत वात है। एक अनुमान के मुताबिक 18 से 59 वर्ष के पुरुषों में से हर तीन में से लगभग एक पुरुष को यह विकार प्रभावित करता है। देखा जाएं तो यह आज के समय में यह पुरुष यौन रोगों में सबसे प्रचलित मुद्दों में से एक है। दुनिया भर में औसतन 40% पुरुष शीघ्रपतन के कारण बांझपन, शर्मिंदगी, चिंता और उदासी जैसी समस्याओं से जूझ रहें है। इसे रैपिड इजेकुलेशन या अर्ली इजेकुलेशन भी कहा जाता है। शीघ्रपतन के मामलों में अक्सर स्खलन वांछित से अधिक बार होता है और यह व्यक्ति के नियंत्रण में नहीं होता है जिसका परिणाम यह होता है कि पार्टनर के बीच तनाव पैदा होने लगता है। हालांकि ऐसी स्थिति कभी-कभार होना एक आम बात है लेकिन अगर इस तरह की घटना लगातार हो रहीं है तो यह एक यौन विकार का संकेत देती है।
शीघ्रपतन को समझे (Understanding Premature Ejaculation) शुक्रगता वात:
शीघ्रपतन (Premature Ejaculation) या शुक्रागत वात तब माना जाता है जब संभोग से पहले या संभोग शुरू करने के एक मिनट के भीतर स्खलन यानी डिस्चार्ज हो जाता है। किसी पुरुष को कितने समय में चरम सुख प्राप्त करना चाहिए इसके लिए कोई निश्चित समय-सीमा नहीं है। अलग-अलग पुरुषों की अलग-अलग टाइमिंग हो सकती है। लेकिन यदि संभोग के दौरान एक मिनट के भीतर ही पुरुष डिस्चार्ज हो जाता है तो इससे दोनों साथी संतुष्ट नहीं हो सकते है।
शीघ्रपतन के प्रकार (Types of Premature Ejaculation)
- प्राथमिक (प्राइमरी) शीघ्रपतन: पहली बार यौन संबंध बनाने के बाद लगातार शीघ्रपतन का होना प्राथमिक शीघ्रपतन के अंतर्गत आता है।
- माध्यमिक (सेकेंडरी) शीघ्रपतन: स्खलन संबंधी समस्याओं के बिना ही नियमित रूप से यौन गतिविधि की अवधि के बाद यह उत्पन्न होता है।
आयुर्वेदिक वर्गीकरण (Ayurvedic Classification)
- वातज शीघ्र स्खलन (Vataj Shighra Skhalana): वात दोष से संबंधित इस प्रकार के स्खलन की विशेषताओं में मुख्य रूप से चिंता, भय और अत्यधिक सोचने की भावनाएं अंतर्निहित होती है। वात के बढ़ने से अत्यधिक शुष्कता और संवेदनशीलता बढ़ सकती है जिसके परिणामस्वरूप शीघ्र स्खलन हो सकता है।
- पित्तज शीघ्र स्खलन (Pittaj Shighra Skhalana): पित्त दोष से संबंधित इस प्रकार के स्खलन में सूजन या जलन हो सकती है। ऐसा देखा गया है कि कुछ मामलों में वीर्य का रंग लाल हो सकता है। भावनात्मक रूप से इस प्रकार के स्खलन के अति-महत्वाकांक्षा, क्रोध और हताशा ट्रिगर हो सकते है।
- कफज शिघ्र स्खलन (Kaphaj Shighra Skhalana): यह कफ दोष से बंधा हुआ है। यह देरी से शुरू हो सकता है लेकिन उत्तेजना शुरू होने पर तेजी से स्खलन हो सकता है। इसके लक्षणों में सुस्ती और जननांग क्षेत्र का ठंडा होना भी शामिल हो सकता है।
- सन्निपातिक शीघ्र स्खलन (Sannipatik Shighra Skhalana): यह तीनों दोषों में असंतुलन का संकेत देता है। यह काफी जटिल भी हो सकता है और अन्य प्रकार से विभिन्न लक्षण प्रदर्शित कर सकता है।
- अन्य कारक और प्रकार (Other Factors and Types):आचार्य ने अन्य कई प्रकार के स्खलना पर भी प्रकाश डाला है जैसे "मांस" (मांसपेशियों पर आधारित) और "शुक्र" (वीर्य गुणवत्ता) असंतुलन पर भी प्रकाश डाला है। बार-बार यौन क्रिया करना, अनुचित आहार लेना, प्राकृतिक इच्छाओं को दबाना और मनोवैज्ञानिक गड़बड़ी जैसे कारणों से शुक्र धातु (वीर्य) को ख़त्म या ख़राब कर सकती है जिससे शीघ्रपतन हो सकता है।
कारण (Causes)
शीघ्रपतन होने के अनेक कारण हो सकते है। इसके सबसे सामान्य कारण इस प्रकार है।
- जैविक कारण (Biological Causes): इस प्रकार के कारणों में प्रमुखत हार्मोनल असंतुलन, न्यूरोट्रांसमीटर लेवल्स का अनियमित होना, वंशानुगत लक्षण व थायराइड जैसी समस्याएं शामिल होती है।
- मनोवैज्ञानिक कारण (Psychological Causes): मनोवैज्ञानिक कारणों में अवसाद, अपराधबोध, चिंता (विशेष रूप से प्रदर्शन चिंता), प्रारंभिक यौन अनुभव और रिश्ते में आने वाली चुनौतियां जैसे कारक प्रमुख भूमिका निभाते है।
- व्यवहार संबंधी कारण (Behavioral Causes): कुछ लोगों में किशोरावस्था में बनी आदतों के कारण शीघ्रपतन विकसित हो सकता है जैसे कि चरमोत्कर्ष की ओर आकर्षित होना या भागना।
- अन्य कारण (Other Causes): शीघ्रपतन के अन्य कारणों में प्रोस्टेट मुद्दे, कुछ दवाएं का प्रभाव और यहां तक कि आनुवंशिक यानी जेनेटिक कारक भी शामिल होते है।
आयुर्वेदिक प्रभाव (Ayurvedic Influences)
आयुर्वेद के अनुसार कुछ विशेष आहार और लाइफ स्टाइल शीघ्रपतन को प्रभावित कर सकते है। ऐसे मामलों में आयुर्वेद सुझाव देता है कि बहुत अधिक मसालेदार, कड़वा या कसैला आहार नहीं खाना चाहिए। इस प्रकार के खाने से दोष संतुलन बिगड़ सकता है। इसके अलावा बार-बार यौन गतिविधि, व्यायाम की कमी और कुछ मानसिक आदतें दोष असंतुलन पैदा कर सकती है जिसके परिणामस्वरूप शीघ्रपतन होता है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से कब्ज और हार्मोनल असंतुलन जैसे मुद्दे भी शीघ्रपतन का कारण बन सकते है।
दोष असंतुलन को समझना (Understanding Dosha Imbalance)
आयुर्वेदिक के अंतर्गत शीघ्रपतन मुख्य रूप से बढ़े हुए वात दोष से जुड़ा हुआ होता है। वात के गुण जैसे गति और संवेदनशीलता शीघ्रपतन के लक्षणों के साथ जुड़े हुए होते है। जबकि वात एक बहुत ही सामान्य कारक है। शीघ्रपतन के कारण अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग हो सकते है। कभी-कभी इसमें अन्य दोष भी शामिल हो सकते है।
लक्षण (Symptoms)
- त्वरित स्खलन (Quick Ejaculation) : यह सबसे स्पष्ट लक्षण होता है। आमतौर पर यह पेनेट्रेशन से पहले या उसके तुरंत बाद होता है।
- यौन आनंद में कमी : जल्दी चरमोत्कर्ष होने पर दोनों पार्टनर की संतुष्टि को कम कर सकता है।
- चिंता और तनाव: अगर लगातार शीघ्रपतन होता है तो इससे अपर्याप्तता की भावना पैदा हो सकती है जिससे यह समस्या संभावित रूप से बढ़ सकती है।
- अंतरंगता से बचना (Avoidance of Intimacy): शीघ्रपतन के कारण कुछ पुरुष शर्मिंदगी के कारण अंतरंगता यानी इंटिमेसी से दूर हो सकते है।
- इरेक्शन की चुनौतियां (Erection Challenges) : इरेक्शन खोने से बचने के लिए यौन क्रियाओं में जल्दबाजी करने से भी शीघ्रपतन हो सकता है।
- निराशा (Frustration) : बार-बार होने वाले शीघ्रपतन से रिश्तों में तनाव पैदा हो सकते है। सामयिक और दीर्घकालिक शीघ्रपतन के बीच अंतर करना आवश्यक होता है।
शीघ्रपतन का उपचार (Treatment of Premature Ejaculation)
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
1. आहार संतुलन:
मीठे, थोड़े नमकीन और खट्टे खाद्य पदार्थों से भरपूर आहार करने से वात दोष को कम किया जा सकता है।
2. हर्बल ज्ञान का दोहन (Harnessing Herbal Knowledge)
शीघ्रपतन या शुक्रागत वात के लिए पारंपरिक आयुर्वेदिक उपचार में खराब वात दोष, जिसे वात हर और शुक्रस्तम्भक कहा जाता है को प्रबंधित करने के लिए विशिष्ट जड़ी-बूटियों और दवाओं का उपयोग किया जाता है। जिसका उपयोग करने से स्खलन में देरी होती है। इनमें शामिल है:
बादाम (Almond) : भीगे और कुचले हुए बादाम शीघ्रपतन के उपचार और सामान्य यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए काफी फायदेमंद होते है।
दोषों पर प्रभाव: यह दूषित वात दोष को शांत करता है।
यष्टिमधु (Yashtimadhu): यह अति-उत्तेजना या अति संवेदनशीलता को दबाने में प्रभावी होती है।
दोषों पर प्रभाव: पित्त और वात दोष को शांत करता है।
जावित्री (Javitri): यह रक्त और वाहिकाओं को शुद्ध और विषहरण करता है। जिसका परिणाम यह होता है कि इससे शीघ्रपतन की समस्या में लाभ मिलता है।
दोषों पर प्रभाव: वात और कफ दोष को दूर करता है।
मुस्ता (Musta): आयुर्वेद के अंतर्गत इसको डायरिया-रोधी गुणों और वीर्य हानि को रोकने की क्षमता के लिए काफी मूल्यवान माना गया है।
दोषों पर प्रभाव: यह खराब पित्त और कफ दोष को निष्क्रिय करता है।
पिप्पली (Pippali) : यह रक्त और वाहिकाओं के लिए एक विषहरण एजेंट के रूप में कार्य करता है। यह समय से पहले होने वाले स्राव को कम करता है।
दोषों पर प्रभाव: खराब वात और कफ दोष को संतुलित करता है।
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1. शीघ्रपतन के लिए पंचकर्म उपचार (Panchakarma Treatments for Premature Ejaculation)
बस्ती (मेडिकल एनीमा): यह वात विकारों के लिए विशेष रूप से प्रभावी होती है। शीघ्रपतन के साथ वात असंतुलन के संबंध को देखते हुए बस्ती फायदेमंद हो सकती है। औषधीय तेल या काढ़े का सेवन मलाशय द्वारा किया जाता है।
विरेचन (Purgation): यह पित्त दोष को लक्षित करता है। औषधीय विरेचकों के मौखिक सेवन से युक्त यह थेरेपी पाचन तंत्र और रक्त को विषमुक्त करती है।
नस्य (Nasal Instillation): प्राण वात जो वात का एक उप-दोष है को संतुलित करने के लिए औषधीय तेल या पाउडर को नाक में डाला जाता है।
शिरोधारा (Shirodhara): यह एक चिकित्सीय विधि है जिसके अंतर्गत माथे पर लगातार गर्म औषधीय तेल को डाला जाता है। जो चिंता, तनाव या वात असंतुलन से जुड़े शीघ्रपतन के लिए काफी उपयोगी है।
1. योग और प्राणायाम (Yoga and Pranayama)
विशिष्ट योग मुद्राओं का उपयोग करना फायदेमंद होता है जैसे-
-धनुरासन (Dhanurasana)
-पश्चिमोत्तासन (Paschimottasana)
- गोमुखासन (Gomukhasana)
-भुजंगासन ( Bhujangasana)
-सांस लेने की तकनीक जैसे अनुलोम-विलोम (Anulom Vilom)
शीघ्रपतन के प्रबंधन में अत्यधिक प्रभावी साबित हो सकती है।
मानसिक संतुलन (Mental Balance)
आयुर्वेद के अंतर्गत शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भावनात्मक और मानसिक कल्याण के संतुलन पर जोर दिया जाता है। एक प्रकार से यौन प्रदर्शन से संबंधित चिंताओं और तनावों को दूर करना आवश्यक होता है। मैडिटेशन, काउंसलिंग और मानसिक लचीलापन चिकित्सीय आहार के पूरक हो सकते है।
शीघ्रपतन को रोकने के लिए सिफारिशें (Recommendations for Preventing Premature Ejaculation)
- अकेले रहने पर यौन संयम बरतें।
- मसालेदार या गर्म आहार का सेवन कम करें।
- तनाव प्रबंधन की तकनीक विकसित करें।
- स्टेरॉयड और अल्पकालिक प्रभावी दवाओं का उपयोग करने से बचें।
- चाय, कॉफी और शराब का सेवन सीमित करें।
सफलता दर (Success Rate)
रिसर्च के अनुसार आयुर्वेदिक दवाओं से शीघ्रपतन के 99% मामलों में सफलता मिली है। इसमें से 75% तो पूरी तरह से ठीक हो गए और 25% में 3 महीने की अवधि के भीतर काफी सुधार देखा गया है। ऐसा देखा गया है कि कुछ लोग जो पूरी तरह से ठीक नहीं हुए है उन्हें अन्य ऑटोइम्यून विकारों के कारण अधिक विस्तृत उपचार की आवश्यकता होती है।
उपचार के बाद क्या अपेक्षा की जा सकती है (Post-Treatment Expectations)
आमतौर पर हमारा उपचार कराने के बाद शीघ्रपतन के लक्षणों में पूरी तरह कम करने में 12 सप्ताह तक का समय लग सकता है। अगर रोगी को कुछ अन्य बीमारियां भी है तो इसमें और भी अधिक समय लग सकता है। उपचार के दौरान रोगी की आंतरिक शक्ति उसका आत्मविश्वास और सहनशक्ति भी काफी मायने रखती है । सर्वोत्तम परिणामों के लिए पूरे 6 महीने के उपचार की अनुशंसा की जाती है।
हमें क्यों चुनें? (Why Choose Us)
हमारे द्वारा किए जाने वाले उपचार में 100% प्रभावी जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जाता है जिनका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है। हम आपकी प्रकृति के आधार पर एक आहार चार्ट प्रदान करते है और आपके उपचार के दौरान आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से निरंतर आपके लिए सहायता सुनिश्चित करते है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQS)
1. यह उपचार किसके लिए है?
जो व्यक्ति यौन गतिविधि में शामिल होने से पहले चिंता या घबराहट का अनुभव करते है।
जो लोग शीघ्रपतन (एक मिनट से भी कम समय तक चलने वाला संभोग) से पीड़ित होते है।
2. खुराक और अवधि
एक गोली रात को दूध के साथ लें ।
माइल्ड मामलों में : कम से कम 3 महीने तक दवा लें।
मॉडरेट मामलों में : कम से कम 6 महीने तक दवा लें।
गंभीर मामलों में : कम से कम 10 से 12 महीने तक दवा लें।
3. क्या यह प्रोडक्ट सुरक्षित और प्रभावी है?
बिल्कुल यह सुरक्षित व प्रभावी है। हालांकि अपनी प्रकृति के अनुसार आपको उचित आहार का पालन करना आवश्यक है।
4. क्या इसका कोई साइड इफ़ेक्ट है?
नहीं इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है। हमारा यह प्रोडक्ट पूरी तरह से सुरक्षित है लेकिन आपको निर्धारित खुराक ही लेनी चाहिए।
अगर आपके किसी भी तरह की कोई जानकारी चाहिए तो अभी हमारे विशेषज्ञों से संपर्क करें।
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